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लकड़ी की काठी – बाल कविता

लकड़ी की काठी – बाल कविता

 लकड़ी की काठी

लकड़ी की काठी, काठी पर घोड़ा,

घोड़े की दुम पे जो मारा हथोड़ा,

दौड़ा – दौड़ा – दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा।

घोड़ा पहुंचा चौक में,चौक में था नाई,

घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई,

चग – बग चग – बग चग – बग चग – बग,

दौड़ा – दौड़ा – दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा।

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